असम APSC स्कैम: कोर्ट ने SIT चार्जशीट से बाहर रखे गए 9 अधिकारियों पर लिया संज्ञान
परिचय
असम में चल रहे APSC कैश-फॉर-जॉब स्कैम में नया मोड़ आया है। गुवाहाटी की विशेष जज कोर्ट ने नौ ACS और APS अधिकारियों के खिलाफ स्वत: संज्ञान लिया है, जो कथित रूप से धोखाधड़ी से नौकरी पाने में शामिल थे, लेकिन विशेष जांच दल (SIT) द्वारा प्रस्तुत चार्जशीट में उनका नाम शामिल नहीं किया गया।
SIT की चार्जशीट में नामों का उल्लेख
विशेष जज कोर्ट में पेश की गई 14वीं चार्जशीट में पांच APS अधिकारियों—नबनीता शर्मा, आशीमा कलिता, अमृतराज चौधरी, रितुराज डोलसी, और स्वरूप कुमार भट्टाचार्य—के नाम और चार ACS अधिकारियों—नंदिता हज़ारीका, त्रिदीप रॉय, बिक्रम आदित्य बोरा, और जगदीश ब्रह्मा—के नाम को छोड़ दिया गया। ये सभी अधिकारी पहले से बिप्लब शर्मा एकल जांच आयोग द्वारा आरोपित थे।
कोर्ट का आदेश
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि जांच अधिकारी ने इन नौ अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट प्रस्तुत नहीं की, जबकि केस डायरी में यह स्पष्ट हुआ है कि इन उम्मीदवारों के अंतिम टेबुलेशन शीट में अंक बढ़ाए गए हैं। भारतीय दंड संहिता की धाराओं 109/120-B/420/465/468/471 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 12 के तहत “प्राइम फेशी अपराधों के सबूत” पाए जाने के बाद इन अधिकारियों के खिलाफ संज्ञान लिया गया।
आगे की कार्रवाई
कोर्ट ने बीके शर्मा समिति की रिपोर्ट में उल्लिखित पांच अन्य उम्मीदवारों के खिलाफ कोई प्राइम फेशी सामग्री नहीं पाई। सभी आरोपियों को 1 अक्टूबर को कोर्ट में उपस्थित होने के लिए कहा गया है।
उच्च न्यायालय की भूमिका
उच्च न्यायालय ने पहले इस मामले में पूर्व जांच अधिकारी सुरजीत सिंह पनेसर द्वारा की गई जांच पर संदेह जताया था, जिसके परिणामस्वरूप असम पुलिस को नई SIT के गठन के बाद जांच अधिकारी को बदलना पड़ा।
निष्कर्ष
12 सितंबर को SIT द्वारा दायर की गई अंतिम चार्जशीट में 23 गजेटेड अधिकारियों को आरोपी बनाया गया था, लेकिन चार्जशीट की आलोचना हुई, क्योंकि इसमें 14 अधिकारियों के नामों को छोड़ दिया गया। जस्टिस (सेवानिवृत्त) बिप्लब कुमार शर्मा की एकल आयोग ने 2013 और 2014 में आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं में लगभग 50 अधिकारियों पर अनुचित तरीके से नौकरी पाने का आरोप लगाया है।
यह मामला असम के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के लिए महत्वपूर्ण है और इसके परिणामों का सभी को इंतजार है।
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