तिरुपति लड्डू में बीफ चर्बी

तिरुपति लड्डू में बीफ चर्बी और मछली तेल की मिलावट: मंदिर में घी की गुणवत्ता जांचने के लिए समिति गठित

तिरुपति बालाजी मंदिर, जहां हर साल लाखों भक्त पूजा और दर्शन के लिए आते हैं, हाल ही में एक बड़ी विवाद में घिर गया है। प्रसिद्ध तिरुपति लड्डू में घी की जगह पशु वसा और मछली के तेल जैसी सामग्री मिलने के बाद तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ने त्वरित कदम उठाए हैं।

घी की गुणवत्ता जांचने के लिए विशेष समिति गठित
टीटीडी के कार्यकारी अधिकारी जे. श्यामला राव ने इस गंभीर स्थिति को देखते हुए चार सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस समिति में दुग्ध विशेषज्ञ डॉक्टर सुरेंद्रनाथ, डॉक्टर विजय भास्कर रेड्डी, डॉक्टर स्वर्णलता और डॉक्टर महादेवन शामिल हैं। समिति का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मंदिर में उपयोग किया जाने वाला घी शुद्ध हो और उसकी गुणवत्ता सर्वोत्तम हो।

तिरुपति लड्डू में बीफ चर्बी

घटिया गुणवत्ता पर होगी कड़ी कार्रवाई
गोलुकलम रेस्ट हाउस में एक प्रेस वार्ता के दौरान, टीटीडी अधिकारी जे. श्यामला राव ने घी की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने चेतावनी दी कि जो ठेकेदार मिलावटी या घटिया गुणवत्ता का घी सप्लाई करेंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, जिसमें ब्लैकलिस्टिंग भी शामिल है। एक ठेकेदार को पहले ही नोटिस जारी किया जा चुका है, और एक अन्य कंपनी की भी जांच हो रही है।

घी में मिलावट की पुष्टि
एनडीडीबी कैल्फ लैब द्वारा जारी एक रिपोर्ट ने मंदिर में उपयोग किए जा रहे घी में मिलावट की पुष्टि की। रिपोर्ट के अनुसार, लड्डूओं में इस्तेमाल किए गए घी में पाम ऑयल, मछली का तेल, बीफ चर्बी और सूअर की चर्बी पाई गई। तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के प्रवक्ता अनम वेंकटा रमणा रेड्डी ने इस रिपोर्ट को सार्वजनिक किया, जिससे यह विवाद और गहरा हो गया।

राजनीतिक विवाद की जड़ में घी की मिलावट
इस घटना ने आंध्र प्रदेश में राजनीतिक माहौल को भी गरमा दिया है। मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने इसके लिए पिछली वाईएसआर कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराया है, जबकि वाईएसआरसीपी ने इसे “दुर्भावनापूर्ण” आरोप बताते हुए नायडू पर झूठी बयानबाजी का आरोप लगाया है।

भविष्य के लिए कदम
हालांकि, टीटीडी ने यह सुनिश्चित किया है कि इस प्रकार की घटना फिर से न हो। समिति की रिपोर्ट का इंतजार है, और घी की गुणवत्ता की जांच के लिए बेहतर उपकरणों की स्थापना पर भी चर्चा हो रही है।

निष्कर्ष
तिरुपति बालाजी मंदिर में लड्डू की गुणवत्ता और भोग में मिलावट से जुड़ी यह घटना न सिर्फ भक्तों के विश्वास को प्रभावित करती है, बल्कि मंदिर की पवित्रता पर भी सवाल उठाती है। उम्मीद है कि टीटीडी की यह जांच समिति और सख्त कदम भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने में सफल होंगे।

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