व्लादिमीर पुतिन का परमाणु हथियारों पर नया प्रस्ताव: क्या है रूस की नई परमाणु नीति?
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में परमाणु हथियारों के उपयोग के नए नियम प्रस्तावित किए हैं, जो दुनिया भर में चिंता का कारण बन गए हैं। इस नए प्रस्ताव में परमाणु हमलों के लिए संभावित परिस्थितियों को और विस्तारित किया गया है, जिससे वैश्विक सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। आइए, जानते हैं इस नए प्रस्ताव के पीछे के कारण और इससे दुनिया पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।
पुतिन का नया परमाणु प्रस्ताव
पुतिन ने हाल ही में दिए एक बयान में कहा कि रूस अब किसी गैर-परमाणु देश पर हुए हमले को, अगर उसे किसी परमाणु संपन्न देश का समर्थन मिला हो, “संयुक्त हमला” मानेगा। इससे रूस पर परमाणु हथियारों के उपयोग की संभावनाएं बढ़ गई हैं। पुतिन ने यह बात यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में कही, जहां यूक्रेन को अमेरिका और अन्य परमाणु संपन्न देशों से समर्थन मिल रहा है।
परमाणु हथियारों के उपयोग की नई शर्तें
रूस के परमाणु नीति में पुतिन ने यह स्पष्ट किया है कि रूस उन परंपरागत मिसाइल हमलों को भी परमाणु हमले की शर्तों में शामिल करेगा, जो उसके प्रमुख शहरों और सैन्य अड्डों को निशाना बनाते हैं। उनका कहना है कि ऐसे हमलों को देश की संप्रभुता के लिए बड़ा खतरा माना जाएगा और रूस इसका जवाब परमाणु हथियारों से देगा।
यूक्रेन और पश्चिमी देशों की प्रतिक्रिया
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की और उनके चीफ ऑफ स्टाफ ने पुतिन के इस नए प्रस्ताव को “परमाणु धमकी” बताया है। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने पुतिन के इस बयान को “गैर-जिम्मेदाराना” कहा है। वहीं, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी रूस को परमाणु हथियारों का उपयोग करने से बचने की सलाह दी है।
परमाणु निवारण नीति और रूस का दृष्टिकोण
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से परमाणु संपन्न देशों ने परमाणु निवारण नीति (deterrence policy) अपनाई है, जिसमें यह माना जाता है कि अगर किसी देश ने परमाणु हमला किया, तो इसका परिणाम आपसी विनाश होगा। लेकिन पुतिन की नई नीति के तहत रूस परमाणु हथियारों के उपयोग की संभावनाओं को और बढ़ा रहा है, जो वैश्विक तनाव को और बढ़ा सकता है।
निष्कर्ष
रूस का यह नया परमाणु प्रस्ताव न केवल पश्चिमी देशों के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक चेतावनी है। इससे वैश्विक सुरक्षा और परमाणु नीतियों पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। अब देखना होगा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय और विश्व नेता इस प्रस्ताव पर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं और इसका यूक्रेन युद्ध पर क्या असर पड़ता है।