केंद्र सरकार ने लिया पूजा खेडकर के खिलाफ निर्णायक फैसला: क्या वापसी की राह हो गई बंद?
नई दिल्ली: पूजा खेडकर, विवादों में घिरी पूर्व आईएएस अधिकारी, जिन्होंने अपने प्रशिक्षण काल में अपनी गाड़ी में लाल और नीली बत्तियाँ लगवाने की मांग की थी, उनके खिलाफ अब केंद्र सरकार ने एक निर्णायक फैसला लिया है। फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिए यूपीएससी में अपनी पोजीशन हासिल करने का आरोप लगाए जाने के बाद, यह मामला सार्वजनिक रूप से चर्चित रहा है। इस घटनाक्रम के तहत, उन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवा से तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया है।
मुख्य घटनाक्रम:
1. गंभीर आरोप: पूजा खेडकर के खिलाफ लगे आरोपों में फर्जी प्रमाणपत्रों का इस्तेमाल और यूपीएससी में धोखाधड़ी से चयन प्राप्त करना शामिल है।
2. कार्रवाई की तारीख: यह फैसला 6 सितंबर, 2024 को केंद्र सरकार द्वारा लिया गया था, जिसके तहत उन्हें नियमों के अनुसार तत्काल प्रभाव से सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।
पूजा खेडकर का पक्ष:
पूजा खेडकर ने सभी आरोपों का खंडन किया है। उनका कहना है कि उन्होंने किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी नहीं की है और उनके खिलाफ लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं।
कानूनी परिप्रेक्ष्य:
आईएएस (परिवीक्षा) नियम 1954 के तहत, केंद्र सरकार को यह अधिकार है कि वह परिवीक्षाधीन व्यक्तियों को सेवा से बर्खास्त कर सकती है, यदि वे पुनः परीक्षा में विफल रहते हैं या यदि सरकार संतुष्ट होती है कि व्यक्ति भर्ती के लिए अयोग्य था।
भविष्य की संभावनाएं:
इस बर्खास्तगी के साथ, पूजा खेडकर की सरकारी सेवा में वापसी की सभी उम्मीदें लगभग समाप्त हो गई हैं। उनके आगे के करियर की दिशा अब कानूनी लड़ाईयों और संभवतः नई शुरुआतों पर निर्भर करेगी।
इस प्रकार के विवाद न केवल व्यक्तिगत करियर पर गहरा असर डालते हैं बल्कि ये सिविल सेवाओं में नैतिकता और पारदर्शिता के महत्व को भी उजागर करते हैं।