कांवड़ यात्रा के नेम प्लेट विवाद पर मौलाना अरशद मदनी की तीखी प्रतिक्रिया: कानूनी टीम की बैठक बुलाई

नई दिल्ली: जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कांवड़ यात्रा के मार्ग पर धार्मिक पहचान स्पष्ट करने के आदेश पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे धर्म के नाम पर राजनीति का एक नया खेल करार देते हुए इसे भेदभावपूर्ण और साम्प्रदायिक निर्णय बताया। उनके अनुसार, यह आदेश न केवल नागरिकों के बीच भेदभाव और नफरत फैलाने का प्रयास है, बल्कि इससे संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन भी हो रहा है।

कानूनी टीम की बैठक

मौलाना अरशद मदनी ने रविवार को अपनी कानूनी टीम की बैठक बुलाई है। इस बैठक में इस असंवैधानिक और अवैध आदेश के कानूनी पहलुओं पर चर्चा की जाएगी। मदनी का कहना है कि पहले मुजफ्फरनगर प्रशासन की ओर से ऐसा आदेश जारी किया गया था, लेकिन अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का आधिकारिक आदेश सामने आया है, जिसने स्थिति को और गंभीर बना दिया है।

मौलाना मदनी के दावे

मौलाना मदनी ने आरोप लगाया कि कई ढाबों और होटलों के मुस्लिम मालिकों और प्रबंधकों को कांवड़ यात्रा के दौरान काम पर आने से मना कर दिया गया है। उनका कहना है कि कोई भी सरकारी आदेश का उल्लंघन करने की हिम्मत नहीं करेगा, और इसी वजह से यह समस्या उत्पन्न हुई है।

मौलाना मदनी की आलोचना

मौलाना मदनी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि संविधान की शपथ लेने के बाद भी सरकार उसी संविधान को किनारे रख देती है। उन्होंने यह भी कहा कि देश के सभी नागरिकों को अपनी धार्मिक पहचान के अनुसार जीने की पूरी स्वतंत्रता है, और संविधान में किसी भी नागरिक के धर्म, रंग, या जाति के आधार पर भेदभाव की अनुमति नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में शासन-प्रशासन का व्यवहार ऐसा हुआ है कि धर्म के आधार पर भेदभाव आम हो गया है।

धर्म की आजादी की रक्षा

मौलाना मदनी ने यह भी कहा कि यह पहली बार नहीं है कि कांवड़ यात्रा आयोजित की जा रही है। पहले कभी ऐसा नहीं हुआ कि किसी नागरिक को अपनी धार्मिक पहचान बताने के लिए मजबूर किया गया हो। उन्होंने उल्लेख किया कि मुसलमान पहले भी कांवड़ यात्रियों के लिए पानी और लंगर का आयोजन करते आ रहे हैं, और ऐसा भेदभावपूर्ण व्यवहार कभी देखने को नहीं मिला।

इस परिदृश्य में मौलाना अरशद मदनी की प्रतिक्रिया ने विवाद को और गरमा दिया है, और यह देखना होगा कि कानूनी पहलुओं पर चर्चा के बाद इस आदेश पर क्या कार्रवाई होती है।

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