सीपीएम के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी का 72 वर्ष की आयु में निधन
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी का आज 72 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनका निधन अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली में हुआ, जहां उन्हें लंबे समय से श्वसन सहायता (ऑक्सीजन सपोर्ट) पर रखा गया था। उनके निधन की पुष्टि पार्टी ने की, और बताया कि डॉक्टरों की एक टीम उनकी हालत पर लगातार नजर रख रही थी। सीताराम येचुरी हाल ही में मोतियाबिंद की सर्जरी के बाद स्वास्थ्य लाभ कर रहे थे।
मुख्य बिंदु:
1. स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं: येचुरी को निमोनिया से ग्रस्त होने के कारण 19 अगस्त को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें लंबे समय से ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया था, लेकिन उनकी हालत लगातार बिगड़ती रही और आज दोपहर 3:05 बजे उनका निधन हो गया।
2. राजनीतिक जीवन: सीताराम येचुरी एक अनुभवी और प्रखर नेता थे, जिन्होंने 1975 में इमरजेंसी के खिलाफ आवाज उठाई थी। उस समय वे एक छात्र नेता के रूप में उभरे और इस विरोध के चलते उन्हें जेल भी जाना पड़ा। इसके बाद उनका राजनीतिक करियर तेजी से आगे बढ़ा और वे स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के अखिल भारतीय अध्यक्ष बने।
3. राजनीतिक शुरुआत: सीताराम येचुरी का जन्म 12 अगस्त 1952 को मद्रास (अब चेन्नई) में हुआ था। उनके पिता सर्वेश्वर सोमयाजुला येचुरी एक इंजीनियर थे, जबकि उनकी मां कल्पकम येचुरी सरकारी अधिकारी थीं। उन्होंने शुरुआती शिक्षा हैदराबाद में प्राप्त की और फिर उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली आ गए, जहां उन्होंने सेंट स्टीफन कॉलेज से बीए (ऑनर्स) और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से एमए (अर्थशास्त्र) किया।
4. राजनीतिक सफर:1974 में उन्होंने एसएफआई में शामिल होकर अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की। 1975 में उन्होंने सीपीएम की सदस्यता ली और धीरे-धीरे पार्टी में अपनी जगह बनाई। 2005 में उन्हें पश्चिम बंगाल से राज्यसभा के लिए चुना गया।
राहुल गांधी और ममता बनर्जी ने जताया दुख
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सीताराम येचुरी के निधन पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया, “सीताराम येचुरी मेरे मित्र थे। वह भारत के विचार के संरक्षक और हमारे देश की गहरी समझ रखने वाले नेता थे। मुझे हमारी लंबी चर्चाएं याद आएंगी। उनके परिवार और अनुयायियों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं।”
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी येचुरी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, “उनके निधन से राष्ट्रीय राजनीति को गहरा नुकसान हुआ है। वह एक अनुभवी सांसद थे और उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा। मैं उनके परिवार और दोस्तों के प्रति संवेदना व्यक्त करती हूं।”
निष्कर्ष
सीताराम येचुरी भारतीय राजनीति के एक महत्वपूर्ण स्तंभ थे, जिन्होंने अपने पूरे जीवन में जनहित के लिए संघर्ष किया। उनके निधन से न केवल वामपंथी राजनीति, बल्कि पूरे देश को एक बड़ा नुकसान हुआ है। उनकी विचारधारा, नेतृत्व और योगदान को सदैव याद रखा जाएगा।